By Preeti Diwanji
स्त्री हो तुम ! पर स्त्री से पहले "व्यक्ति-विशेष" हो तुम... याद रखना होगा !!
अबला नहीं हो तुम ! मुश्किलों के पहाड़ सरलता से उठाती हो तुम... याद रखना होगा !!
कोमलांगी नहीं हो तुम ! अनगिनत काम और किरदार एक साथ निभाती हो तुम... याद रखना होगा !!
निर्बला नहीं हो तुम ! जीवन की हर ज़िम्मेदारियों के बोझ को यूँ ही उठाती हो तुम... याद रखना होगा !!
ज़िंदगी के हर पहलू में ! किसी से कम नहीं हो तुम... याद रखना होगा !!
कहीं अर्द्धांगिनी जाती हो ! तो दर्जा भी बराबर का रखती हो तुम... याद रखना होगा !!
एक दिन नहीं ! हर दिन तुम्हारा है, हो बहुत ख़ास तुम... याद रखना होगा !!
आत्म-सम्मान और स्वाभिमान हैं आभूषण तुम्हारे! लाजवाब हो तुम... याद रखना होगा !!
स्वतंत्र हो तुम ! सपनों की उड़ान भर सकती हो तुम... याद रखना होगा !!