By Prachi Patil
सुनाई दे तो उस झील का झरना...
ढूँढे तो खुशियाँ!!
कहे तो चाँद...
और न कहे तो उलझी हुई पहेलियाँ।
लिखे तो किताब,
देखे तो ख़्वाब,
पढ़े तो ग़ज़लें,
हँसे तो बहारें,
सुनाए तो शायरियाँ,
जाने तो सुकून,
और न जाने तो अवर्णनीय ख़ूबसूरती।
समझे तो कविता,
ज़िक्र करूँ तो अकथनीय सुंदरता,
पाए तो जन्नत,
बनाए तो आकृति,
महसूस करे तो अविस्मरणीय स्मृति।
कहे तो नूर,
अनुरोध करूँ तो हूर,
कथन करूँ तो आरोही फ़ितूर,
और परखूँ तो कोहिनूर।
तुम चाँद हो तो हम सितारे ही सही,
तुम खुशियाँ, ख़ूबसूरती, बहारें और किताब,
तो हम दुख-दर्द, बदसूरती, मुरझाए हुए फूल और फटे हुए पन्ने ही सही...
तुम कोहिनूर हो तो हम पत्थर ही सही।।
हम हैं शबनम, तुम्हारी ही पलकों से गिरते हैं,
यूँ तो हम क़रीब होकर भी तुम्हारे नहीं,
जीते तो हम तुम्हारे ही इशारों पे हैं,
पर तुम्हारे लिए हम अजनबी ही सही।।
ये दुनिया क्या है? — निर्दयी है,
और हम क्या हैं — आँसू समझ लो,
और वो क्या है — आँखें!!