By Paramita Beck

जीवन के अनेक सवाल हैं,
सवाल जो जवाब माँगते हैं,
सवाल जो और सवाल खड़े करते हैं।
तो कहाँ से शुरू करें?
जवाब ढूँढने से या और सवाल करने से?
कभी-कभी पूरी जिंदगी बीत जाती है,
फिर भी समाधान नहीं मिलता।
कभी-कभी हम सवाल छोड़ देते हैं,
और आगे बढ़ जाते हैं।
रुको, सांस लो,
क्या जीवन खुद एक प्रश्नचिह्न है?
क्या मैं एक सवाल हूँ या जवाब?
क्या तुमने कभी इस पर विचार किया है?
मैं हर पल अपनी वैधता पर सवाल उठाता हूँ,
मैं हर पल जवाब खोजता हूँ,
कहीं पहुँचने के लिए,
किसी के साथ होने के लिए।
आत्मा जन्म-जन्मांतर नहीं करती यात्रा,
बल्कि ये सवाल ही हैं,
जो जवाब खोजने के लिए भटकते हैं,
उन अंतिम जवाबों को,
जो बताते हैं कि हम कौन हैं,
कहाँ से आए हैं,
और कहाँ जाना है।
ये सवाल हमें गहराई से परेशान करते हैं,
हर कोने में यात्रा करते हैं,
जहाँ-जहाँ पहुँच सकते हैं।
तो सवालों का जवाब,
और जवाबों का सवाल—
यही तो जीवन है,
है न?