By Omkarini Kasaudhana
जोड़ा था तुझे ज़िन्दगी से कभी...
आज तुझसे जुड़ी हर बात लिख रही हूं,
तूने रात कहा दिन को, मैं रात लिख रही हूं...
कुछ इस तरह अपने जज्बात लिख रही हूं...
टूटे मन से खड़ी हूं, जोड़ खुद को रहीं हूं,
होश खोया था पहले या अब खो रही हूं...
कुछ इस तरह अपने हालात लिख रही हूं...
आज तुझसे जुड़ी हर बात लिख रही हूं...
वो बारिश का पानी, बात दिल ने न मानी,
जो किया था भरोसा वो मेरी नादानी...
कुछ इस तरह के ख्यालात लिख रही हूं...
आज तुझसे जुड़ी हर बात लिख रही हूं...
क्यों टूटा ये भरोसा, क्यों मिला ऐसा धोखा,
बातें तेरी बेमानी क्यों दिल ने न सोचा...
इस तरह ज़िन्दगी के सवालात लिख रही हूं...
आज तुझसे जुड़ी हर बात लिख रही हूं...
जो दिल तेरा दुखाया वो लम्हा भी याद है,
यादों से तेरी हर लम्हा आबाद है...
कैद में हूं तेरी, तुझे हवालात लिख रही हूं,
कुछ इस तरह खुद को बर्बाद लिख रही हूं...
आज तुझसे जुड़ी हर बात लिख रही हूं...
आज तुझसे जुड़ी हर बात लिख रही हूं...