बातें जो रह गईं – Delhi Poetry Slam

बातें जो रह गईं

By Noorpreet Kaur


कुछ बातें कहनी ज़रूरी हो गईं
कुछ बातें कहनी अधूरी रह गईं
अब ये मंज़िल पूरी नहीं होगी मुझसे
कुछ उलझनें सुलझानी मजबूरी रह गईं

ये आख़िरी साँस भरने की अब हिम्मत नहीं
रूह से न जाने कैसी दूरी हो गई
कुछ बातें कहनी ज़रूरी हो गईं
कुछ बातें कहनी अधूरी रह गईं

आईने की कालक देखी नहीं जाती अब मुझसे
इसके साए को मिटाने की फितूरी हो गई
उम्मीदों से भरा ये बक्सा उठाया नहीं जाता मुझसे
इनके बंधन में बंधे रहने से काफ़ूरी सी रह गई

कुछ बातें कहनी ज़रूरी हो गईं
कुछ बातें कहनी अधूरी रह गईं


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