By Nisha Mittal
सुकून, तू आना तो ऐसे आना
आँसू की बौछार लेकर मत आना
मुस्कुराहट के धागे बुनकर लाना ।
भीड़ बनकर आना,चाहे तन्हाई
कोई मसला नहीं हैं
बस खालीपन मत लाना ।
न तीखा अतीत सुझाना
न भावी सुनहरे स्वप्न दिखाना
बस मेरा खोया आज बनकर आना।
दिल की नरमी में मत झाँकना
दिमाग की सख्ती मत बनना
कठिन कोमलता लिये आना।
न झूठे दिलासों में आना
न सच्चे वादों में आना ,बस
कोरे कागज सा आना।
सब पाने की होड लेकर मत आना
क्या छोडना है, इसकी समझ बतलाना
तसल्ली का तूफान लेकर आना ।
न उलझनों का सागर लाना
न सीप का मोती बनकर आना
आइने सा निश्छल अक्स साथ लाना ।
उदित-अस्त से परे होकर आना
जिंदगी और ख्वाब का फर्क लेकर आना
सीने में दफन ख्वाहिशों का कफ़न सहेज कर लाना
लम्बें भटकाव के बाद मुझे ,मुझसे मिलाने के लिये आना ।
तेरे इन्तजार में ..... ...
I became totally immersed while reading this poem, very well written. Keep it up and all the best. Hope you write many more such amazing poems for us to read