By Nisha Kumari
अभी , तुम बहुत छोटे हो,
कि मेरी गोदी में समा जाते हो।
तुम्हें निहारते ही एक मुस्कान सी आ जाती है,
तुम हँसते हो, तो दिल झूम उठता है।
अभी, तुम इतने छोटे हो,
कि मेरी गोदी में खेलते हो।
खेलते-खेलते ज़ब तुम्हें भूख लगती है,
तो मेरे स्तन में मुँह मारते हो।
अभी, तुम इतने छोटे हो,
कि तुम्हें गोदी में उठा के गले से लगाती हूँ,
घुमा-घुमा के, लोरी गा-गा के,
तुम्हे सुलाती हूं ।
अभी, तुम इतने छोटे हो,
कि तुम्हारे उठने का इंतज़ार रहता है।
तुम जागो, तो तुम्हें दूध पिलाऊँ —
यही ख़याल मन में आता है।
अभी, तुम इतने छोटे हो,
कि तुम्हारी माँ तुम्हें नहलाती है।
तुम्हें पानी में छपाक करते देख पाती है,
तुम्हें तैयार करने की ख़ुशी महसूस कर पाती है ।
अभी, तुम इतने छोटे हो,
कि तुम रोते हो तो अपनी माँ को खोजते हो।
मैं तुम्हें गले से लगाकर चुप कराती हूँ।
तुम्हें अपने हाथों से खिलाती हूँ।
अभी, तुम इतने छोटे हो,
कि मेरी आँखें तुम्हें ही देखती रहती हैं।
तुम कहीं दूर चले जाते हो तो,
मन यही कहता है — कहीं रो तो नहीं रहे हो।
अभी, तुम इतने छोटे हो,
कि तुम्हें नज़रों के सामने से दूर नहीं कर पाती।
पर हर कोई तुम्हें खेलाना चाहता है,
तुम्हे प्यार करना चाहता है।
अभी, तुम इतने छोटे हो,
कि अपने पापा की गोद में खेलते हो।
तुम्हारे पापा तुम्हें हँसाते हैं,
तुम्हें 'कच्चू', 'काजू कतली' और न जाने,
क्या-क्या नामों से बुलाते हैं।
अभी, तुम इतने छोटे हो,
कि सबके लाड़ले हो।
हर कोई तुम्हारी एक झलक के लिए पागल है।
तुम सोकर उठो, तो सब तुम्हें गोदी में लेना चाहते हैं।
अभी, तुम इतने छोटे हो,
कि तुम्हें चोट न लग जाए — यही डर रहता है।
तुम्हारी ज़रूरतों का हर पल ख़याल रहता है।
फिर एक दिन ऐसा आएगा,
तुम धीरे-धीरे बड़े हो जाओगे।
अपने पैरों पर चलने लगोगे,
दौड़ोगे… भागोगे।
अब तुम्हारी माँ तुम्हें गोदी में न ले पाएगी,
पर तुम्हें गले से ज़रूर लगाएगी।
अब तुम स्कूल जाने लगे हो,
फिर एक दिन कॉलेज जाओगे।
फिर बड़ी पढ़ाई के लिए बाहर जाओगे,
फिर हमसे कभी-कभी मिलने आओगे।
यह छोटा बचपन, पुरानी यादें —
शायद तुम सब भूल जाओगे,
पर हमें हमेशा याद रहेंगी।
अब तुम बड़े हो गए हो बेटा,
अब तुम्हारी माँ तुमसे यही बोलेगी…