Nisha Gupta
सब पे अपना प्यार लुटाती,
पर बहुत कम से ही अपना प्यार पाती।
सबके सामने बहादुर बन
मुस्कुरा जाया करती हूँ,
पर पता नहीं कैसे —
तेरे सामने रो जाया करती हूँ।
इतना आसान नहीं है मेरा आँसू
यूँ निकलना,
उसे तो एहसास चाहिए
जो दे सके सच्चा भाव —
ऐसा कोई ख़ास चाहिए।
हाँ, हैं मेरे कई यार,
पर तू अलग है यारा।
सुख में मिलते मुझे हज़ारों घर,
दुख में सिर्फ़ नज़र आता है
तेरा ही घर।
रुख़ मोड़ ना लेना
अगर मैं कभी हो जाऊँ बेरुख़ी...
प्यार से एक बार कह देना —
"मुझसे भी बात कर ले
एक बार सखी।"
ये यादें संजो कर रखना मेरे यारा,
शायद आज हूँ तेरे बीच,
कल मैं कहीं और रहूँ।
बढ़ती ज़िम्मेदारियों के साथ,
नए हालातों के संग,
हो सके व्यस्त रहूँ।
पर तू ये कभी ना सोचना
मैं भूल जाऊँगी तेरे साथ का क़र्ज़।
तेरे साथ भले ही तस्वीरें कम हों,
तेरा मुझसे मिलना बेशक़ कम हो,
पर तेरे कुछ साथ ही काफ़ी थे,
तेरे पलभर के जज़्बात ही काफ़ी थे।
मेरे दिल को तेरी जगह समझ में आई —
इसलिए तो ये कविता तेरे लिए बनाई।
मेरा दिल ना जात देखा, ना धर्म,
उसने एक रूह देखी —
जिसमें सुकून से रह सकें हम।
हाँ, तू मेरा एक अलग यार है —
जिसके साथ में एक प्यारा एहसास है।