प्रबोधन – Delhi Poetry Slam

प्रबोधन

By Niranjan Kumar Gautam

भिक्षां देहि…
भिक्षां देहि…
तथागत ने… धौंक लगाते हुए
अपने आप को महल के दरवाज़े पर पाया।

पुनः... भिक्षां देहि…
तभी महल के अंदर से कुछ
पदचाप सुनाई दी।
धीरे-धीरे एक महिला, साधारण वेशभूषा में, भिक्षापात्र लिए
महल की देहरी पर प्रकट हुई।

भिक्षां देहि…
पुनः तथागत ने आवाज़ लगाई।
महिला ने तथागत की झोली में
भिक्षा डाली।
महिला ने झुका सिर सीधा किया,
और तथागत की तरफ देखा।
दोनों ने परस्पर देखा,
दोनों ने परस्पर पहचाना।

महिला अब रुआंसी थी,
आँखों में पानी था,
एक हाथ में आँचल पकड़े थी,
शायद आँसुओं को रोकने की एक असफल कोशिश…
दोनों ने एक-दूसरे को देखा।
महिला बोली—

क्या कसूर था मेरा?
आप आधी रात, बिना बताए,
नवजात शिशु को अनाथ कर
छोड़ चले गए…?

तथागत चुप… कुछ बोलने को
होंठ हिले, लेकिन बोल ना पाए।
तथागत असहाय खड़े थे,
कदम भी ना हिले।

अच्छा, एक बात बताओ—
जिसके लिए सब कुछ छोड़ा,
वो सब मिला?

तथागत धीरे से— हाँ…
अच्छा… यहाँ
घर पर रहकर
ये सब प्राप्त नहीं किया जा सकता था क्या…?
तथागत— हाँ…
तो फिर मुझे छोड़कर क्यों गए…?
महिला का ग़ुस्सा, क्षोभ
अंतिम चरण पर।

तथागत बोले—
पाने के बाद ही तो
ये ज्ञान हुआ कि
ये सब घर पर भी रहकर
जाना… प्राप्त किया जा सकता है/था…

महिला अब शांत थी।
अपने ग़ुस्से पर आत्मग्लानि थी।

दोनों ने एक-दूसरे को
पुनः देखा…
दोनों के दिल साफ़, स्थिर थे।
दोनों ने अपनी जीत को
एक किया।

दोनों पुनः अपने-अपने
रास्ते पर गमन कर गए।


3 comments

  • True .buddha went at door of his own rajmahal to beg a BHIKSHA .MAHRANI YASHODHARA GREETED HIM WITH A BOWL.OF BHIKSHA .REST IT IS ALSO TRUE ..GOD CAN BE REALISED LEAVING AS A COMMON MEN ..COMPLYING ..DOING HIS DAILY DITIES TOWARDS HIS FAMILY AND HIS SUBJECTS .RAJA JANAK .MAY BE QUEOTED FOR THID GOOD DEEDS .

    Niranjankumargautam
  • True .buddha went at door of his own rajmahal to beg a BHIKSHA .MAHRANI YASHODHARA GREETED HIM WITH A BOWL.OF BHIKSHA .REST IT IS ALSO TRUE ..GOD CAN BE REALISED LEAVING AS A COMMON MEN ..COMPLYING ..DOING HIS DAILY DITIES TOWARDS HIS FAMILY AND HIS SUBJECTS .RAJA JANAK .MAY BE QUEOTED FOR THID GOOD DEEDS .

    Niranjankumargautam
  • True .buddha went at door of his own rajmahal to beg a BHIKSHA .MAHRANI YASHODHARA GREETED HIM WITH A BOWL.OF BHIKSHA .REST IT IS ALSO TRUE ..GOD CAN BE REALISED LEAVING AS A COMMON MEN ..COMPLYING ..DOING HIS DAILY DITIES TOWARDS HIS FAMILY AND HIS SUBJECTS .RAJA JANAK .MAY BE QUEOTED FOR THID GOOD DEEDS .

    Niranjankumargautam

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