Neha Gupta – Delhi Poetry Slam

Naari Vyatha

By Neha Gupta

एक नारी मकान को घर बनाती है..
तो क्यों एक नारी ही नारी की दुश्मन हो जाती है..

एक नारी से ही सब रिश्ते बनते हैं..
तो क्यों वो ही हर रिश्ते का दाग बन जाती है..

एक नारी ही है जो सबको अपना सा प्यार देती है..
तो क्यों वो बहू बनके सबकी नफ़रत का शिकार हो जाती है..

एक नारी है जो दिल से तुम्हारी हर कमी को नज़रअंदाज कर जाती है..
तो क्यों उसकी कमियों की सूची एक नारी ही बनाती है..

माँ हो तो प्यारी है, बहन है तो दुलारी है..
तो क्यों एक बहू है तो ज़िम्मेदारी है, भाभी है तो बीमारी है..

एक नारी को नारी के नाते देखो ना..
माँ, बहन, बहू, भाभी... सभी को एक पलड़े में तोलो ना..

एक नारी है तो महादेव भी पूरे हैं..
एक नारी है जिसके बिना राम भी अधूरे हैं..
एक नारी है जो कृष्णा की जान से भी प्यारी है..
हाँ, वो नारी है जो हर भगवान के वजूद की कहानी है..
हाँ, वो नारी है जो तुम्हारे घर की रुबानी है..
तो क्यों आज भी बहू बनके तुम्हारे घर में अंजानी है?


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