By Neha Upadhyaya

एक दिन तू इस कदर मेरा हमसफ़र बन गया
मेरा व्यक्तित्व मेरी पहचान मेरा हस्ताक्षर बन गया
एक दिन तू इस कदर मेरा हमसफ़र बन गया
मेरे चेहरे में दिखने लगा अक्स तेरा
मेरी हर बात में होने लगा जिक्र तेरा
मैं मुझ में कम रह गई तू ज़्यादातर बन गया।
एक दिन तू इस कदर मेरा हमसफ़र बन गया
तेरे नाम से होने लगी पहचान मेरी।
तेरी हर आदत मेरी आदत बन गई।
तुझसे इश्क़ करना मेरी इबादत बन गई।
मैं रह गई लघुकथा और तू एक कथा संग्रह बन गया।
एक दिन तू इस कदर मेरा हमसफ़र बन गया.
मेरा व्यक्तित्व, मेरी पहचान, मेरा हस्ताक्षर बन गया