रात से दिन – Delhi Poetry Slam

रात से दिन

By Neha Rai

रात से दिन ,दिन से रात की 
तू तो न था , पर तेरी ही तुझसे बात की 

बहुत सी बातें थी,  शिकस्त की और मात की 
गुज़रते हुए लम्हात की ,तेरे साथ की 
एक ऐसे ख़्वाब की ,
न होते हुए भी होना तेरा , इस हालात से निजात की 
तेरे इस आघात की , शहर- ए - ज़ात की ,
अर्थ के अर्थात् की , इस ज़िंदगी के बाद की ।

तो गिला क्यों करूँ ?
तुझसे ना मुलाक़ात की और ज़मींदोज़ इन जज़्बात की 
कि ये मनचला मन तो तब भी न डरा ,
 जब तू ने जा कर कभी ना लौटने की बात की 

मसला -ए - ग़ुरूर न समझना इसे , इश्क़ है मेरा 
कि तेरे जाने पर लगाएँगे आवाज़ तक नहीं ,

मेरे पलके मींचते ही तू बेमर्ज़ी भी यहीं होगा
मोहब्बत की इन ताक़तों का ,
मेरी ज़ान तुझे अंदाज़ा तक नहीं 

रात से दिन ,दिन से रात की 
तू तो न था , पर तेरी ही तुझसे बात की …


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