बलात्कार(रेप) – Delhi Poetry Slam

बलात्कार(रेप)

By Neha Meena

बहुत संभाल तराशा है उसे ,
कैसे रहना, खाना, पीना, बैठना है उसे,
देखती जब भी भाईयो को जाते बाहर ,
पूछती अपनी मां से एक ही सवाल,
आखिर तूने रोका मुझे ही क्यों है ?


कमरे में बंद रहना, पुरुषोत्तम की पालना करना, सारे घर
को देखकर भी कुछ ना करने का ताज पहनना, इसके बाद
भी जि ना भरा तो अब ये हैवानियत पे उतर आए हैं।
सुना तूने आज एक रेप हुआ, उसका पिता उदास होगा
पर वो रात को निकली थी लड़के के साथ जरूर उसका चरित्र खराब होगा।


अरे जब रेप हुआ एक ८०(80) साल की बुजुर्ग का जब भी कोशा इन्होंने उसी को है,
क्या 6 साल 6 माह ये कुछ ना देखते है ,
अपनी हवस की प्यास बुझाने के लिए सिर्फ़ नज़रे फेरते है।


ये जो तुम बोलते हो ऐसा हुआ गलत हुआ पर होनी को
कौन टाल सकता है,
ये समाज है यहां सब चलता है,
कल को होगा जब यही तुम्हारी बेटी, बहन या बीवी के साथ फिर मांगोगे किस मुंह से इंसाफ
जो जो उंगलियां उठाई तुमने कह पीड़िता का चरित्र खराब, कल को उठेगी जब यही उंगलियां तुम्हारी बेटी खिलाफ,
नहीं समझा पाओगे समाज को नहीं होता है लड़कियों का चरित्र खराब।


अब तो उठो लड़ो और बांधो इस समाज को नैतिकता के बंधन में ,
ये देश तुम्हारा भूमि तुम्हारी अब देर किस बात की हैं।

 


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