मिलने की अगली तारीख... – Delhi Poetry Slam

मिलने की अगली तारीख...

By Neha

सुनो
एक बात है जो तुमसे कहनी है ... अगर मानो तो
ये जो तुम ज़िन्दगी के अधर में मिले हो ना
इस राह पर मेरा इख़्तियार नहीं
अगली बार जो मिलो
तो आना एक उम्र लेकर...

कुछ ख़्वाब है जो मैंने देखे हैं
हमारा आज और कल है दर्ज जिनमे
वो पलकों पर संजोये रखे है
कुछ पोर में हैं आँखों की ... तो कुछ बूंदे बन टपक चले है
अगली बार जो मिलो
तो आना एक उम्र लेकर...
इन ख्वाबों में दम भरना है...हर सपना सच करना है !

वो जो झूला है आँगन में
जिसकी साइड टेबल पर तुम्हारी चाय पढ़ी है
वो थोड़ी बासी थोड़ी ठंडी हो चली है
अगली बार जो मिलो
तो आना एक उम्र लेकर
ज़िन्दगी की सर्द शामों में तुम्हारे साथ गरम चाय की एक पूरी केटल पीनी है !

वो जो खाने की थाली मैंने तुम्हे परोसी थी
उसकी दाल में नमक की कमी थी
रोटी भी थोड़ी कड़क और सूखी हो चली है
अगली बार जो मिलो
तो आना एक उम्र लेकर
ज़िन्दगी के तीखे- मीठे स्वाद को ता-उम्र तुम्हारे साथ चखना है!

ईज़ल पर रखे कैनवस में हमने कुछ रंग भरे थे
कुछ लकीरें अभी अधूरी हैं तो कुछ फीकी हो गई है
वो जो घर की फोटो उतारी थी ना... उसमें तुम दरवाज़ा बनाना भूल गए थे
अगली बार जो मिलो
तो आना एक उम्र लेकर...
अपना अधूरा घर पूरा करना है... और कैनवस के कोने में एक इंद्रधनुष भी ऐड करना है

और भी बहुत कुछ है जो इस बार अधूरा रह गया है
हम करे तो भी क्या करे
जो तुम ज़िन्दगी के अधर में मिले हो ना
इस राह पर मेरा इख़्तियार नहीं
अगली बार जो मिलो
तो आना एक उम्र लेकर...
हर पल को बस तुम संग बसर करना है !
और हर पल में एक उम्र को तय करना है !


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