By Dr Neeta Agarwal

सिंदूर लगाती थी
जो लेकर नाम राम का
उसी के सिंदूर की लाज रखने
उस युग में
श्री राम ने धनुष उठाया था
आज
फ़ैला आतंक का ज़लज़ला,
कुछ दहशतगर्दियों ने
छीन मासूम जिंदगियों को
चमकती मांगों का
सिंदूर मिटाया है
अब
करने रक्षा उसकी लाज की
उसी सिंदूर को बारूद बना
भर सीने में एक एक जवान के,
ऑपरेशन सिंदूर चलाया है
बचा नहीं था रावण उस युग में
रामराज्य भी आया था
न बचेगा रावण इस युग में
कट जाएंगे शीश सभी
नापाक इरादे रखने वाले
चुन चुन मारे जाएंगे
संशय नहीं कोई इसमें,
मिट जाएंगे आतंकी या फिर
मिट्टी में मिल जाएंगे
तब,
कर अमृत वर्षा
दे जीवन दान
मृत पड़े हर वानर को
इंद्रदेव ने
नया सवेरा दिखलाया था
पर,
इंद्रदेव क्या
आज भी आकर
अमृत फिर बरसाएंगे ?
बिछड़ जाएंगे जो फौजी हमसे
क्या फिर वो वापस आयेंगे?
बनी रहे सिंदूर की लाली
भारत मां की शान
सर ऊंचा कर
बांध कफन
चल देते हैं
इस पथ पर
जो बांके वीर जवान
शीश झुकाऊं शत शत उनको
फजल भुला नहीं पाऊँगी
नमन करूं कितना भी उनको
कर्ज़ चुका नहीं पाऊंगी