By Neelam Gilda Soni
मंसूबों पे सभी के जब पड़ गया पानी
कुछ यूं हुई बयां इस देश मे वोट की कहानी
जैसे होते है '"चोर चोर मौसेरे भाई'"
वैसी वाली रीत हमने है अपने ज़िम्मेदारी संग निभाई
बड़े चाव से किया था जिस मतदान का इंतज़ार
उसी दिन आ गया पड़ोसी वाली बिल्ली को बुखार
सोच रहे थे लोग होके तैयार है वोट देने जाना
लो जी घरवाली को मिल गया छुट्टी मनाने का बहाना
है हमे चिंता लोकतंत्र की,कहे ताऊ और ताई
बस घुटने के दर्द ने पैरों में जकड़ लगाई
अब तो बनने लगे घरों में पकवान कई नए
इस चटोरी चाय संग नमकीन में हम वोट देना भूल गए
अब आयी जाग लेकर भागे अपना कार्ड आधार
सोचे कौन रहेगा खड़े देखके ये लंबी कतार
कुछ घरों मे था चल रहा सूर्यवंशी movie का जोश
अब amitabh जी की acting में खो गए हम होश
इन सब के बाद हुआ जब नया सवेरा
लो जी बातों में हम कह गए नया बखेड़ा
कहे न हो सका कुछ अपने देश की जनता का
इस कमबख्त छुट्टी और चाय ने बिगाड़ दिया भाव समता का
जब था वक़्त अपने हक़ को निभाने का
भई हम लगे थे करने प्लान आराम फरमाने का