वक़्त बिताना नहीं है काफी – Delhi Poetry Slam

वक़्त बिताना नहीं है काफी

By Mohit Badyal

वक़्त बिताना नहीं है काफी,
कुछ तो हो ज़िंदगी में हासिल,
ये सोच ज़िंदगी भर देते हैं हम इम्तेहान,

ये नहीं है की मंज़िल ही देगी खुशी,
मंज़िल तक पहुँचने का संघर्ष भी है ज़रूरी,

बाद मे याद करोगे की सफ़र,
हाँ सफ़र ही थी असली मंज़िल,
वो एहसास, वो हार, वो जीत,

वो हार के थक कर बैठ जाना,
वो दूसरों को देख कर सोचना,
की किस्मत क्यू है उस पर मेहरबान,
वो कोसना अपनी किस्मत को,

हाँ वक़्त बीत ही जाएगा
यूं शिकायते, यू रूठने, यू मनाने मे,
पर एहसास इस सफ़र का,ही यादों को खुशनुमा बनाएगा,

वो जब याद करोगे बीते हुए दिनो को,
वो सब एहसास याद आएंगे,
वो खट्टे मीठे पल ही तुम्हें,
उस सुनहेरे दिनो की याद दिलाएगा,
और तुम्हारा आज भी खुशनुमा हो जाएगा,
हाँ ये वक़्त तो बीत ही जाएगा ।।


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