By Mitul Chauhan
आलस जकड़े बैठा है मुझको,
सपने दिखा बैठा है मुझको,
चलना तो आता ही है,
बस पहला कदम उठाना सिखा दे तू।
झूठी सफलता के फंदे ने,
दुनियादारी के धंधे ने,
दुष्चक्र में फंसा रखा है,
बस एक राह दिखा दे तू।
करना क्या है मुझको यहाँ,
जाना है मुझको कहाँ,
अस्तित्व क्या है मेरा यहाँ,
ज़रा बता दे तू।
‘कर्म करना है तेरा अस्तित्व,
विशाल है तेरा व्यक्तित्व,
तू खुद को पहचान पार्थ,
ये रण भूमि है, मत भूल अपना दायित्व।
अपने विचलित मन को संभाल,
अपने अंदर साहस को खंगाल,
उठा धनुष, सभी लक्ष्य भेद,
लिख साहस का नया लेख,
लिख साहस का नया लेख।’