By Mayura Kashikar

अपनी सोच में गुम रहने वाली
अब सब की फिक्र करने लगी
सुबह उठकर सारे काम करना
दूध कपड़ो का हिसाब रखने लगी
मैं माँ सी हो गई
स्कूल और त्योहार पर
जल्दी उठने का राग आलापना
झट से बैग उठा कर बस में चलो
वक्त की कदर करो
मैं भी यही बुदबुदाने लगी
मैं माँ सी हो गई
मेहमानों से रौनक
बातें उनकी संगीत लगे
छोटे बड़े त्योहार पर दिया जला
प्रसाद की थाली और चौखट सजाने लगी
मैं माँ सी हो गई
नाश्ता, खाना और टिफिन की नौटंकी
कुछ नया कुछ स्पेशल आज़माना
पसंद और नखरे अब विशेषता लगे
रोटियां भी सारी गोल बनाने लगी
मैं माँ सी हो गई
बालों में सफेदी पैर में दर्द रहे
शहर की गर्मी से हो जाऊं हैरान
फिर भी कदम घर पर ना रुके
रजाई स्वेटर को धूप सिकाने लगी
मैं माँ सी हो गई
लेखनी में विचारों की ऊंचाई
बनाए संबंधो में रखे गहराई
हर उम्र के दोस्तों संग ठहाके
जहां रहे इत्र बन दुनिया महकाए
क्या मैं ऐसी हो पाई?
सारे संवाद सुने सुनाए
जो सुने थे वही मैं भी दोहराने लगी
बहुत लोग कहते है माँ पर गई है
अब तो बच्चे भी कहने लगे
'आप आजी (नानी) सी लगने लगी'
मैं माँ सी हो गई?
हां .....मैं माँ सी हो गई
Thanku friends for all the love ❤️
Very nostalgic and indeed true, Mayura
It’s such a touching fact Mayura ,keep tangling such beautiful words .
Beautiful though & framed.
Very nostalgic, excellently expressed
Beautiful craft Mayura and it is so relatable. Keep writing and keep sharing.
Very nostalgic poem, excellently expressed
Thankyou all for your love & appreciation
🙏
Your imagery power is so truthful and fruitful 🥰😅 it would definitely inspires everyone like me …. 🤗🤗
Wow, this is so beautifully written something every married girl can relate to.
Amazing poetry, it’s actually true.
Wishing you luck and success. Stay blessed
I knew your abilities & I am very much proud to be your achievements as a friend i wish u a very bright future a head & congratulations
बढिया 👏🏻👏🏻
कुछ भी कहो मां की याद मिटती ही नहीं है. बहुत ही बढ़िया लिखा है।