Manpreet Chadha – Delhi Poetry Slam

Kya Mai Shikshit hu?

By Manpreet Chadha

क्या मैं शिक्षित हूं ? मैं खुश हूं मेरा भारत शिक्षित हो रहा है ।
मैं खुश हूं नए भारत का सूर्य उदय हो रहा है ।
लेकिन क्या मैं समझ पाया हूँ शिक्षा के सही मायने ?
क्या मैं पिरो पाया हूँ मानवीय मूल्यों को अपने जीवन में,
जिनके बिना शिक्षा अपंग है, अधूरी है ?
शायद नहीं .....
क्योंकि मेरे लिए तो शिक्षा केवल किताबी ज्ञान से पैसा कमाना है
और इस स्वार्थी दुनिया की बेतहाशा दौड़ में
औरों को कुचल आगे बढ़ जाना है ।

जी हाँ, मैं शिक्षित नहीं हूँ !
क्योंकि व्यर्थ है मेरी शिक्षा,
जब मैं अपने बूढ़े मां-बाप को किसी वृद्ध आश्रम में छोड़ आता हूँ
और ज़िन्दगी की शाम में उन्हें घुट घुट कर मरने की सज़ा सुनाता हूँ।
जब मैं देश की एकता और अखंडता पर कलंक लगाता हूँ
धर्म, जाति, भाषा के नाम पर नर संहार करवाता हूँ
और हज़ारों औरतों को बेवा व बच्चों को अनाथ बनाता हूँ
जब मैं काले धन, जमाखोरी, तस्करी से अपने ही देश को दोनों हाथों से लूटता हूँ
झूठी डिग्रियाँ बेचकर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करता हूँ
या बालक-बालिकाओं को बंधक मज़दूर बनाकर उनके कोमल जीवन में अंधकार भरता हूँ।

जी हाँ, निष्फल है मेरी शिक्षा
जब मैं अपनी नैतिकता का गला घोंटकर लोगों को ज़हर खिलाता हूँ
खाने में मिलावट और फसलों में घातक रसायन के टीके लगाता हूँ
जब मैं चलती सड़क पर किसी मासूम को कुचल कर फ़रार हो जाता हूँ
या किसी दुर्घटनाग्रस्त को तड़पता छोड़ पहले वीडियो बनाता हूँ
और नष्ट करके उन चन्द कीमती घड़ियों को
किसी की ज़िन्दगी में पूर्ण विराम लगा जाता हूँ ।

नहीं, मैं शिक्षित नहीं हूँ ।
दोस्तो मैं शिक्षित उस दिन कहलाऊँगा
जिस दिन मैं मेरे खून पसीने और ईमानदारी से अपनी रोटी कमाऊँगा
जिस दिन मैं इन्सान और इन्सानियत से मोहब्बत कर पाऊँगा
और जिस दिन मैं ज़िन्दगी ईमान से जीना सीख जाऊँगा
उस दिन मैं वास्तव में शिक्षित हो जाऊँगा ।


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