By Manoj Pandey

है ये जमाना आइ.टी. का ,
जिसे सूचना तकनीकी कहते हैं।
फिर है जमाना बी.टी. का,,
जिसे जैव तकनीकी कहते हैं।।
सड़कों पर फोन मोबाइल,
अब हैं सभी ऑफिस में कम्प्यूटर।
बिन इनके लगे फीकी जिन्दगी,
हो गए हैं सभी इन पर निर्भर।।
जैव विज्ञान के नियमों में,
जब तकनीकी का संगम होता।
बायोटेक कहें इंग्लिश में,,
जिसका मेरुदंड डी.एन.ए. होता।।
प्रचलित जैव विज्ञान विधा,
भारत के लिए नई नहीं भाई।
पौराणिक कालों से है यह,
परंपरा में सदा चली आई।।
श्री गणेश को उत्पन्न किया,
जब स्वयं अकेले, उमा भवानी ने।
था मस्तक धड़ से अलग किया,
अनजाने में, शंकर जग के स्वामी ने।।
शोक क्रोध वश हो काली ने,
महारौद्र रूप को धार लिया।
प्रलय काल के खतरे को था,
तब त्रिपुरारी ने पहचान लिया।।
समझा बुझा कर शैलजा से,
बोले महादेव तब अपनी वाणी।
फिर जीतेगा पुत्र तुम्हारा,
अगर मिले हमें दूसरा प्राणी।।
गजानन तब बने लंबोदर,
जैव तकनीकी विधा पुरानी से।
क्लोनिंग, प्रत्यारोपण थे प्रचलित,
होता है सिद्ध कही कहानी से।।
भारत में जैव तकनीकी गाथा,
सिर्फ यहीं नहीं रुकने पाई।
आर्यों ने सोम सुरा का शोथ किया,,
वैदिक तकनीकी अपनाई।।
कृत्रिम जीन निर्माण किया,
डाक्टर हर गोविंद खुराना ने।
नोबेल महान सम्मान दिया,
माना उन्हें जग और जमाना ने।।
आकांक्षा है छात्रों से यह,
खूब पढ़ें लिखें और आगे बढ़ें।
इसी विधा में खुराना जैसे,
जग में देश का रौशन नाम करें।।