नए दौर की परीक्षा – Delhi Poetry Slam

नए दौर की परीक्षा

By Manjusha Tiwari

नए दौर की परीक्षा 
जहां हर पथ पर, मिलती है हमे शिक्षा
इस दौर में, जहां सब भाग रहे हैं
एक दूसरे के प्रतिद्वंदी बने हुए है,
आर्थिकता, सामाजिकता,
राजनैतिकता या फिर हो धार्मिकता,
हर वर्ग में सत्ता, की लगी होड़ है।
सुख, चैन, शांति सब छोड़,
बस आगे निकलने का हर जगह बना शोर है ,
पर हम समझते नहीं कि,
परीक्षा सफल या असफल होने की नहीं,
इस नए दौर में,
ठहराव की, धैर्य रखने की हैं।
दो घड़ी, रुक के दूसरों की भी बात सुनने की है
परीक्षा दूसरों से बेहतर बनने की नहीं,
खुद से बेहतर बनने की है।
दूसरों को नीचे करके, सर्वश्रेष्ठ बनने की नहीं,
सबके साथ बढ़ते हुए, सबका हित करने की है।
नए दौर की परीक्षा,
प्रतियोगिता में सफल होने की नहीं,
जिंदगी को सही मायनों में सफल बनाने की है।
ये नए दौर की परीक्षा,
एक प्रतिद्वंदी बनने की नहीं,
एक सफल इंसान बनने की है।
एक सफल इंसान बनने की है।


- मंजुषा तिवारी (स्वरचित)


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