समय चितेरा – Delhi Poetry Slam

समय चितेरा

By Madhulika Saxena

मैं नहीं गुज़रने देता हूँ
मैं बाँध समय को लेता हूँ,
फोटोग्राफर कहलाता हूं
मैं बांध समय को लेता हूं.

जिस गति से यह सूरज चलता
जिस गति से यह चंदा ढलता,
टिमटिम करते अगिनत तारे
उनसे आगे मैं निकलता हूँ,
मैं बाँध समय को लेता हूँ
मैं नहीं गुज़रने देता हूँ।

खट्टे मीठे पल जीवन के
संध्या के नरम धुंधलके के,
हो गहन रात्रि या अलस भोर
हो अंतर मन का गहन शोर,
मैं कैद सभी को करता हूँ
मैं बाँध समय को लेता हूँ।

दिल के टुकड़े की प्रथम झलक
प्रिय को पाने की गहन ललक,
वह कनबतियाँ करती नज़रें
वो नवविवाहिता के नखरे,
हर पल को अमिट बनाता हूँ
मैं बाँध समय को लेता हूँ।

वो भीड़ भरे मेले-ठेले
हों जनम-मरण से मन गीले,
दादी की हँसी पोपली पर
नानी की अमिट निशानी पर,
'मधु' नज़र सभी पर रखता हूँ
मैं बाँध समय को लेता हूँ।

मैं नहीं गुज़रने देता हूँ
मैं बाँध समय को लेता हूँ,
फोटोग्राफर कहलाता हूं
मैं बाँध समय को लेता हूँ,


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