By Madhu Gupta

जब तुम इबादत में होती हो—
तो मेरे ख्वाबों की ज़िंदा तस्वीर लगती हो,
बिगड़ कर बनी हुई तक़दीर लगती हो,
ज़मीं पर बसा जन्नत-ए-कश्मीर लगती हो,
दीवाली का दिया और होली का अबीर लगती हो।
जब तुम इबादत में होती हो—
तो कितनी दीवानी लगती हो,
ग़ज़ल कोई रूहानी लगती हो,
पहले प्यार की अनछुई कहानी लगती हो,
कभी मीरां तो कभी राधा रानी लगती हो।
जब तुम इबादत में होती हो—
तो बेड़ियाँ और ज़ंजीरें टूटने लगती हैं,
भादों की रात गहराने लगती है,
घटाएं उतर आती हैं ज़मीं पर,
और कान्हा की आस जन्मने लगती है।
जब तुम इबादत में होती हो—
तो रस-पगी वृन्दावन की गली लगती हो,
पुनीत पावन ब्रज की भूमि लगती हो,
तीन लोक से न्यारी मथुरा नगरी हो,
अमृत छलकाती कोई गगरी लगती हो।
जब तुम इबादत में होती हो—
तो कुंजों में बाँसुरी बजने लगती है,
बाँहों में सखियाँ नाचने लगती हैं,
गोपियाँ महकने-बहकने लगती हैं,
और ग्वाल-बाल सब झूमने लगते हैं।
जब तुम इबादत में होती हो—
तो मटकियाँ फूटने लगती हैं,
दूध-दही की नदियाँ बहने लगती हैं,
माखन चुराकर तुम्हारी आँखें
चुपके से मुझे खिलाने लगती हैं।
जब तुम इबादत में होती हो—
तो तुलसी की चौपाई लगती हो,
खैयाम की रुबाई लगती हो,
कभी सूर का रसीला पद,
तो कभी रसखान का सवैया लगती हो।
कैसे बताऊँ कि जब तुम इबादत में होती हो—
तो कैसी लगती हो,
बिल्कुल यमुना के तीर पर,
कदम्ब की डाल तले,
रास रचाती कृष्ण की टोली लगती हो।
जब तुम इबादत में होती हो—
तो मैं तुम्हें सजदे करता हूँ,
तुम पर सदके जाता हूँ,
सौ साल पहले भी करता था,
आज भी मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।
Wow..
Marvelous
Super
You are real hero of Hindi/Hindustani
वर्तनी संबंधी बहुत गलतियां हैं
जैसे पहली पंक्ति
’ जब तुम इबादत में होती हो ’ होनी चाहिए