By Richa Dhaliwal

सुनते ही समझ आ जाये
ऐसी है माँ......
रखती है वो खयाल सबका
अपना जाती है भूल
देकर सबको प्यार
खाली सी रह जाती है , माँ !
गोदी उठाए दौड़ पड़े
रिमझिम को चीरती वो
खुद नंगे पैर है नर्म जिसके
कठोर को भी मात दे वो है, माँ !
सुनते ही समझ आ जाये
ऐसी है माँ......
आँखों में हर पल दबाये
मुझको जगाती है वो
खुद ही सब कुछ है करती
मुझको कितना सिखाती है , माँ !
सुनते ही समझ आ जाये
ऐसी है माँ......
चेहरे पर नूर लिए ऐसा
रूह तक झांक लेती है वो
जो तुमने ना कहा हो
वो भी समझ जाती है , माँ !
सुनते ही समझ आ जाये
ऐसी है माँ......
Maa bachhon ko jaan hoti hai
Wo hoye hao kismatwale jiski maa hoti.
Aapne Darsahaya walaah kamal hai 👍🏼👍🏼👍🏼⚘️
Maa is Synonyms to ALMIGHTY GOD and u EXPRESSED so truly in this Poetry for this Amazing Blessing ‘MAA’
Well Done ✅ RICHA DHALIWAL 💯🇮🇳
Keep it Up 💪👍🙌✨
आपकी कविता माँ की ममता, त्याग और संवेदनाओं का अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण चित्रण करती है। हर पंक्ति माँ के अनकहे प्रेम और निस्वार्थ समर्पण को शब्द देती है। इस भावना को सराहते हुए कुछ दोहे/शेर इस भाव को और गहराई दे सकते हैं:
1.
माँ की मूरत दिल में बसती, माँ से रोशन सारा जहाँ,
जिसने जीवन दिया हमें, उसकी महिमा कहें कहाँ…
2.
चलते-चलते थक गया जब, सिर माँ की गोदी में आया,
नींद ने भी मुस्कुरा कर, गीत ममता का गाया…
3.
ना पूछो क्या है माँ का दिल, बस देखो उसकी आंखें,
तुम ग़म में हो तो वो रोये, तुम खुश हो तो वो मुस्काए…
आपकी कविता में “सुनते ही समझ आ जाये” पंक्ति बहुत प्रभावशाली और सारगर्भित है – माँ की पहचान शब्दों की मोहताज नहीं, बस एहसास की बात है। यह रचना हृदय को छू जाती है। 🌸
आपकी कविता माँ की ममता, त्याग और संवेदनाओं का अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण चित्रण करती है। हर पंक्ति माँ के अनकहे प्रेम और निस्वार्थ समर्पण को शब्द देती है। इस भावना को सराहते हुए कुछ दोहे/शेर इस भाव को और गहराई दे सकते हैं:
1.
माँ की मूरत दिल में बसती, माँ से रोशन सारा जहाँ,
जिसने जीवन दिया हमें, उसकी महिमा कहें कहाँ…
2.
चलते-चलते थक गया जब, सिर माँ की गोदी में आया,
नींद ने भी मुस्कुरा कर, गीत ममता का गाया…
3.
ना पूछो क्या है माँ का दिल, बस देखो उसकी आंखें,
तुम ग़म में हो तो वो रोये, तुम खुश हो तो वो मुस्काए…
आपकी कविता में “सुनते ही समझ आ जाये” पंक्ति बहुत प्रभावशाली और सारगर्भित है – माँ की पहचान शब्दों की मोहताज नहीं, बस एहसास की बात है। यह रचना हृदय को छू जाती है। 🌸
अति सुंदर ऋचा जी,बहुत मीठे शब्दों में बयान किया आपने।एक अनंत भाव है मां ।
Beautiful composition ..reality of life..maa wo shakti hai wo takat hai jis ko jitna byaan karo wo kam hai..shat shat naman har maa ko ..very nice Richa dhaliwal..God bless u and wil love to read ur upcoming poems.