Loot Tantra – Delhi Poetry Slam

Loot Tantra

By Avdhesh Thakur

लूटने वाले, क्या नहीं लूटते है ?
कोई अमन लूटता है,
कोई चमन लूटता है,
कोई वतन लूटता है। 

लूट रहा हर कोई,
सब जगह लूट ही लूट है,
पावडर में हो रही मिलावट,
गारमेंट में अस्सी प्रतिशत की छूट है,
भैया, ये कैसी लूट है ?

यहा  तो  होड़ मची है लूटने की, 
कौन किस-से  ज्यादा लूटते है,
लूटने वाले, क्या नही लूटते  है ?

इस लूट की दुनिया से बाहर निकल ''राज़''
अब तो  तेरे  ख़्वाबो  के  महल  लूटते है I 
लूटने वाले, क्या नही लूटते  है ?


Leave a comment