Kunwar Indrajeet Singh
देश का भाल हो, महाविकराल हो
धवल, श्यामल, कभी कुंदन सा दमकते हो
चहुंओर हिम की, सफेद चादर बिखरी हुई है
उत्तर की सीमा, करते हो तुम सुरक्षित
अपने अंदर, क्या क्या समेटे हुए हो।
देश का भाल हो..........।1।
सदियों से मानव करता
तुम्हारी और ही प्रयाण
स्वर्ग का रास्ता तुम्हीं से
होकर है जाता, है न तभी
पांडव पुत्रों ने तुम्हारा रुख किया।
देश का भाल हो.......।2।
हिमालय की शान हो
तीर्थों के सर्वोच्च शिखर हो
मानसरोवर को स्व में समेटे हुए
सच में कितने पावन, मनभावन
संतों की तपस्थली हो, तुम कैलाश
देश का भाल हो..........।3।
देवों के देव महादेव ने
यहां आवास है बनाया
अमर कथा का, वाचन है किया
चहुंओर बिखरी हुई है, शिवगाथा
हिमावन, मैना से पार्वती सती तक।
देश का भाल हो............।4।
भारतवासी कहते तुम्हे, सागरमाथा
मानते तुम्हें अंतिम पड़ाव, जीवन का
पर सच तो यही है, धरती के केंद्र में हो तुम
धरती और आकाश का, संतुलन बनाते
सभी को जग में एकत्व का, संदेश सुनाते।
देश का भाल हो..........।5।
कोई शीर्ष पर जाने का, दुस्साहस करे तो,
मार्ग भटक जाता, जीवन उसका पूर्ण हो जाता
कोई विमान तुम्हारी, थाह न पाता
जो पाना चाहे, तुम्हारा सान्निध्य
मन को तपाए, हृदय में धारण करे तुम्हें।
देश का भाल हो............।6।
धरती पर सत्य और निष्ठा का
आस्था और अगाध विश्वास का
मन में बैठे अनश्वर का, आधार हो तुम
करोड़ों करोड़ जीव का, संबल हो तुम
महादेव का अन्तस तुम, नमन तुम्हें।
देश का भाल हो.............।7।
गंगा, यमुना का, उद्गम तुम
ब्रह्मपुत्र का आविर्भाव, तुमसे ही
ये सरिताएं सारे देश का, पोषण करती
जब नीर हो जाता, थोड़ा सा भी कम
हिमखंड तुम, पिघला ही देते।
देश का भाल हो.............।8।
स्वरचित, मौलिक अप्रकाशित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।
Very nice
Bahut sundar kavita. Badhai ho
Bahut sundar kavita. Badhai ho
Bahut sundar kavita