Kosis Kar – Delhi Poetry Slam

Kosis Kar

By Divya Pathak

अंधेरी सी जिंदगी में
सूरज सी रोशनी हो जाएगी
कोसिस कर तो सही

सारे सपने हकीकत में तब्दील होंगे
तू उठ तो सही

जिंदगी है ये कभी सीधी नहीं होगी
तू ये बात अपना तो सही

आगे ख़ुशियाँ हैं तेरे इंतज़ार में
पूरणे जखमो को भुला तो सही

नामुमकिन कुछ नहीं है यहाँ तेरे लिए मान तो सही

खुले आसमान का परिंदा है तू
कैद मत कर खुद को

उठ कोसिस कर उड़ान भर तो सही
ये अंबर भी तेरे सामने झुकेगा
तू कोसिस कर तो सही


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