Kismat Shayara Ki – Delhi Poetry Slam

Kismat Shayara Ki

By Chetna Verma

तुम्हें पता नहीं शायद,
पर बहुत खुशकिस्मत हो तुम…
तुम्हें पता नहीं शायद,
पर बहुत खुशकिस्मत हो तुम,
किसी शायरा की क़िस्मत हो तुम।

इस शायरा के अनेक हैं चहेते…
इस शायरा के अनेक हैं चहेते,
पर वो तुम्हारी ही सुध-बुध में खोई है।
तुम्हें क्या मालूम!
वो तुम्हारी याद में, पल-पल रोई है।

वो तुम्हारी याद में, पल-पल रोई है…
सब समेटे अंधकार की कहानी,
वो रोशनी में सोई है।
वो क्या राधा बनती,
और क्या बनती मीरा…
वो तुम्हें अपने शब्दों में संजो के खोई है।

वो तुम्हें अपने शब्दों में संजो के खोई है,
वो तुम्हारी होने के लिए जीई है,
और तुम्हारी होने के लिए मरी है।
वो तुम्हारी होने के लिए, सिर्फ़ दुनिया से नहीं —
अपनों से लड़ी है।

वो तुम्हें दूसरे का होने के लिए भी,
तुम्हें हिम्मत देकर सोई है,
वो अब क़िस्मत के भरोसे होई है…

वो अब क़िस्मत के भरोसे होई है,
अपने कान्हा के हाथों सब सौंपकर,
वो निंद्रा में खोई है।
गर मिलना है लिखा,
तो मिलाएगा उसका भगवान…

गर मिलना है लिखा,
तो मिलाएगा उसका भगवान।
वो सिर्फ़ तुम्हारी ख़ुशी के लिए होई है!

काश! तुम्हें पता होता,
कितने खुशकिस्मत हो तुम…
किसी शायरा की क़िस्मत हो तुम।


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