देश का जूनून – Delhi Poetry Slam

देश का जूनून

By Kiran Bala 

22 अप्रैल, 2025 (पहलगांव अटैक)
मोदी जी की ललकार। 

है शेर की दहाड ये, 
समझ ले गिदड जरा 
मान जा इतने से ही, 
हो जाए ना कही जख्म हरा। 

हर बार तुने की मनमानी, 
धर्म पूछकर, अधर्म किया 
मौत का तांडव रचने वाले 
हो जायेगा, तेरा खात्मा।
जय हिंद।

7 मई, 2025 (आप्रेशन सिंदूर)

धर्म के नाम खेली होली 
पोछां माथे का सिंदूर,
दबे हुए दहशतगरदो 
अब गिनो बहत्तर हूर। 
जय हिंद, जय भारत। 


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