By Kavita Singh

इक छलावा है
या दिखावा है
बस भुलावा है
ये जिंदगी
कुछ प्यासी सी
मन की निराशा सी
झूठी सी आशा सी
ये जिंदगी
कुछ कुछ जलती सी
कुछ कुछ बुझती ही
हर पल सुलगती सी
ये जिंदगी

इक छलावा है
या दिखावा है
बस भुलावा है
ये जिंदगी
कुछ प्यासी सी
मन की निराशा सी
झूठी सी आशा सी
ये जिंदगी
कुछ कुछ जलती सी
कुछ कुछ बुझती ही
हर पल सुलगती सी
ये जिंदगी