By Kartik Ahuja

मौत, तू एक कविता है —
अंत नहीं, तू उससे भी ज़्यादा है।
शुरुआत सी लगती है तू,
खूबसूरत एक लम्हा, जो कुछ कह जाता है।
कुछ सवालों के तू जवाब सी है,
पर नए सवालों का एक रास्ता भी है।
मंज़िल नहीं, पर राहें तू खोलती है,
जहाँ पहुँचना है, वो तू दिखलाती है।
कुछ लोगों की दूरी,
और मन का एक बंद दरवाज़ा है,
जिसे तू ख़ामोशी से खोलती है,
और सब कुछ कह कर भी चुप रहती है।
लोगों ने कविता का वादा किया तुझसे,
पर तू... तू तो ख़ुद एक ग़ज़ल है।
तेरे सीने से लगकर,
साँसें एक नया सुकून पाती हैं।
दर्द भरी नसों में,
तू एक ठंडा सा एहसास है,
जो सुकून ढूंढ़ते हैं,
वो तुझमें अपना आइना पाते हैं।
मैं तुझे कैसे लिखूँ,
ये सोच कर क़लम रुक जाता है।
कोशिश चाहे अधूरी हो,
पर दिल में तेरे लिए बहुत कुछ बस जाता है।
मौत, तू एक कविता है —
ना सिर्फ़ अंत, बल्कि एक नई शुरुआत है...
जो हर ख़ामोशी में जीती है,
और हर साँस में कुछ कह जाती है।