Kabhi socha na tha – Delhi Poetry Slam

Kabhi socha na tha

By Surabhi Singh

कभी सोचा ना था….
तुमसे यूँ मिलूँगी मैं…
कभी सोचा ना था…..
रास्तो में हाथ पकड़ कर चलूंगी मैं तुम्हारा
कभी सोचा ना था…..
खुशियां इतनी मिलेंगी मुझे तेरे आ जाने से
कीं गम क्या होता हैं, ये भूल जाऊंगीं
कभी सोचा ना था…..
मैं, शुक्रगुजार हूं तुम्हारी
खूब साथ निभाया हैं तुमने मेरा
कोई इतना मन को भा जाऐगा मेरे
कभी सोचा ना था……
हां, ऐसा नहीं है कि नाराज़गी नहीं रही कभी
या कभी रुठना मनाना नहीं हुआ
पर कोई इतनी मेहनत कर मनायेगा मुझे
कभी सोचा ना था…..
पता है तुम्हे ? बेहद प्यार हैं तुमसे
पर इसे निभाना तुमसे सीखा है मैंने,
मेरी हर गलती को नजरअंदाज किया है तुमने
ना कोई नाराज़गी, पर बस, माफ किया है तुमने,
इतना प्यार कोई करेगा मुझको
कभी सोचा ना था……
तुम्हे तो पता है ना नादान हूं मैं,
गलती करती हूं, दिल दुखाती हूं तुम्हारा, पर अंजान हूं मैं
तुम खुद से मुझे कहते भी नहीं कभी,
मेरा इतना ख्याल कोई रखेगा
कभी सोचा ना था…….
मुश्किलें आऐगीं बहुत जीवन में, मालूम है मुझे
पर तुम हंसी बनकर रहना, होठों पर हमेशा मेरे
शायद कभी समझा ना पाऊं अपना प्यार तुम्हें
कोई जिंदगी में, इतना जरुरी हो जाऐगा
कभी सोचा ना था…….
कभी-कभी सोचती हूं, क्या सच में काबिल हूं तुम्हारे
शायद हां, तभी किस्मत ने मिलाया हैं हमें
सपना हो या हकीकत,
बहुत खूबसूरत साथ लगता हैं सब कुछ
बयां करने को शब्द कम पङ जाऐंगें
कभी सोचा ना था……..
अब बस तुमसे मिलने का इंतजार है
गले लगाकर तुम्हें, प्यार जताने का इंतजार है
तुम्हारे चेहरे की मुस्कुराहट को,
अपने होठों से महसूस करना है
मेरी बेसबर ऑंखे किसी को ऐसे तलाश करेंगीं
कभी सोचा ना था………


1 comment

  • Thank you

    Surabhi singh

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