अनकही बातें – Delhi Poetry Slam

अनकही बातें

By Juslin T

जो भी तुम मांगोगे, तुम्हारे कदमों पर रख दूंगी मैं।
तुम भाग जाना चाहो, तो भी, जाने नहीं दूंगी मैं।
तुम्हारे इंतज़ार में, मर जाऊँगी, पर हार नहीं मानूँगी मैं।

एक तरफ़ा, तुम देख तो लो, मेरी जान,
पूरी दुनिया तुम्हारे नाम कर दूंगी मैं।
तुम्हारे इस मुस्कुराहट के लिए,
पूरे कहिनत से लड़ जाउंगी मैं। 

तुम वो सपना हो,
जो मैं कभी हासिल न कर पाऊं।
तुम वो ख़ुशी हो, जो मैं पा ना सकु,
तुम पास ज़रूर हो, पर फिर भी दूर हो।

तुम्हारे इस आँखों में, डूब जाना चाहती हूँ,
देखना है, तुम मुझे किस नज़र से देखते हो।
पूछना चाहती हूँ तुम्हारे इस दिल को,
कि तुम मेरे बारे में, क्या सोचते हो? 

थोड़ी सी जगह क्या तुम दोगे मुझे? 
थोड़ा सा वक्त क्या मांग लूं तुमसे?
ऐसा क्या है जो तुम छुपा रहे हो?
तुम बात करके तो देखो, शायद जवाब मिल जाये तुम्हें।

तुम वो इंसान हो, जो मैं हर दुआ में मांगती हूं,
तुम वो सब कुछ हो, जो मैं हर जगह खोजती हूं।
तुम वो जवाब हो, जिसका हर मोड पर मैं इंतज़ार करती हूँ,
तुम वो हो जिसके वजह से मैं सांस लेती हूं।

तुम मुझे अपना हो या ठुकरा दो,
तुम हमेशा मेरे लिए, मेरे खास हो।
आख़िर मैं, फिर से, एक बात बोल दूं,
एक बार, हां बोल कर तो देखो|


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