ऐसा कैसे – Delhi Poetry Slam

ऐसा कैसे

By Jayanti M

 

 

ऐसा कैसे?
बढ़ते कदम मगर
अंधकारमय भविष्य...
खो गया बचपन
हुआ जब कोविड का दर्शन
वपता वपतरों के पास गए...
सूझ हुई ना खबर
जजिंदगी अभी जीना था,
रोक ना सके मगर
घरबार, दोस्त, दुनिया 
शिष्य, साथी, प्रियजन 
किसीको पास ना बुलाया
साथी सब थे मगर,
यह दुनिया एक महफिल,
महफिल में जमे लोग कई बार
कोविड ने ऐसा चलाया भाला
सब बिखर गए आर पार


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