कविता – Delhi Poetry Slam

कविता

By Janki Yadav

अपने को भी मुगालता था 
ठीक ठाक लिख लेने का , 
कुछ इधर उधर छपा भी ,
अपनी कलम से दुनिया की
आँखें खोल दूँगी 
ये गुमान भी हुआ ।

पर जब काम धंधे से लगे 
समझ में आया
बेटा ,काम कर लो
करने से काम होते है 
दुनिया बदलती है 
ये लिखने विखने से 
चंद मिनटों की आह -वाह से 
किसी का भला नहीं होने वाला 
अपन तो ऐसा करो 
आदेश लिखो बस।

गरीब को उसका हक 
दे दो 
जमीन पर जरीब चलवा दो।
ये रास्ता खुलवादो 
वो कब्जा हटवा दो ।
इन कविता सविता को बोलो
तैयार होकर स्कूल जाएँ
खूब पढ़े 
दुनिया बदलने को तैयार हो जाएँ ।

अपन तो बस इत्ता कर लें 
तो खूब हो जाएगा
ये जन्म सफल हो जाएगा ।
बस तब से ही
कविता वविता को
"प्रोज़ मैनेजमेंट" वाली मैडम 
के लिऐ छोड़ दिया भाई ।


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