By Jagruti Begani

कारावास में जन्मे कन्हैया
बेड़ियों में बंधी देवकी मैया
वसुदेव ले गए यमुना पार
टोकरी में लेटे जगत खेवैया
जन्म लेते ही जननी से वियोग
मथुरा छूटा, था गोकुल का जोग
ना रुकी मैया की अश्रुधार
था नियती का ये कैसा संयोग
नंद बाबा के बने वो लाल
यशोदा माता के बाल गोपाल
राधा के हृदय पर छाए
गैया चराकर बन गए ग्वाल
मुरली सुनाकर सबको लुभाया
माखनचोर बन खूब सताया
गोवर्धन उंगली पर उठा कर
इंद्र देव को सबक सिखाया
गोकुल के वो बने दुलारे
गोपियन की आंख के तारे
पर काल ने ऐसा चक्र चलाया
रह गया सब कुछ किनारे
यशोदा मां का भी आंचल छूटा
राधा का स्वप्न क्षण भर में टूटा
गोकुल की गलियां हो गई सुनी
पुनः नियती ने सबकुछ लूटा
कंस ने ऐसा आतंक मचाया
प्रजा को उसने खूब सताया
हो गए थे सब त्राहि त्राहि
अंत समय उसका था आया
कर्मभूमि की सुनकर पुकार
मथुरा लौट गए मुरलीधर
बांसुरी छूटी ,उठाया सुदर्शन
चले गए सबको व्याकुल कर
मथुरा से हटा कंस का साया
मिट्टी में मिल गई उसकी काया
अत्याचारों से पाकर मुक्ति
नगरी में आनंद था छाया
जरासंध का शेष था प्रकरण
करता रहा अनवरत आक्रमण
मथुरा को छोड़ गए घनश्याम
द्वारिका नगरी का किया निर्माण
हस्तिनापुर से फिर आया बुलावा
धधक रहा था अन्याय का लावा
पांडवो को नहीं सत्ता का अधिकार
दुर्योधन ने ऐसा किया था दावा
भरी सभा में द्रौपदी लज्जाई
केशव ने सखी की लाज बचाई
पांडवों को दिलाने न्याय
शांति प्रस्ताव की राह दिखाई
दुर्योधन का भोज ठुकराकर
विदुर के घर भाजी थी खाई
अनीति का जब बजा था डंका
युद्ध के लिए ललकार लगाई
कौरवों ने ली नारायणी सेना
पार्थ के सारथी बन गए किशना
विरुद्ध खड़े स्वजनों को देखकर
चाहा था उसने पीछे हटना
अर्जुन की दुविधा को दूर कर
युद्ध के लिए किया उसे तत्पर
कुरुक्षेत्र में उपदेश दिया माधव ने
गीता का अनमोल ज्ञान सुनाकर
गांधारी से हो गए वो शापित
यदुवंश का नाश हुआ सुनिश्चित
जरा के बाण से देह को त्यागा
द्वापर का अंत था पूर्वनिर्धारित
कृष्ण अवतार की थी ये व्यथा
स्वयं हरी के जीवन की कथा
कर्मों के खेल ना बचा है कोई
इस संसार की है बस यही प्रथा
ऐसा भव्य था अष्टम अवतार
दिया जिसने जीवन का सार
निष्काम कर्मयोगी बनकर ही
भवसागर कर सकते हैं पार
आपने यह कवितामें पूरा कृष्णावतारकी संपूर्ण लीलका वर्णन दे दिया है, जिससे किसी भी व्यक्तिकौ श्रीकृष्ण भगवानने इस अवतारमें क्या किया उसकी जानकारी प्राप्त होगी।आपके इस प्रकारके सफल प्रयत्नोंका में सराहना करता हु.आपको शुभ कमनके साथ धन्यवाद।
Super good poem !
very divine !