By Himanshu Shukla

बहता बहता बहता, पानी वो बह गया,
कहता कहता कहता, कहानी एक कह गया,
जब तक संग था, एक अपना ही अंग था,
अब जब रहा नहीं, तो फिर कहीं मिला नहीं।
जहाँ तेरे मुकाम थे, वहाँ बाकी, कुछ निशान थे,
जब तेरा ज़िकर किया, सबने वही पता दिया,
सबने वही पता दिया, जहाँ से तूने शुरू किया,
अब क्या तुम, फिर से, यहाँ आओगे,
बरसोगे बरसोगे बरसोगे, और फिर बह जाओगे।
खैर तेरी आस भी, चलाती कई स्वास है,
हौसला भी बन गया, और जिन्दा अभी प्यास है।"