By Akash Kumar

उसने सारी दुनिया माँगी
मैंने उसको माँगा है
ख़ुदा के सामने हाथ फैलाकर
मैंने ख़ुद ख़ुदा को उसके लिए माँगा है
उसकी आँखों की झुकी नज़र के सामने अपना सब कुछ क़ुर्बान कर दूँ मैं...
उसके हृदय की नरमी के एहसास के लिए अपने सीने से दिल निकाल कर उसके सीने में जान भर दूँ मैं...
नज़र उठाकर अपनी आँखों से आँखें ना मिलाना, दिल के थम जाने से जीते जी मौत को क़रीब से पहचाना है
दिल जो थम जाता है जब उसकी नज़रें उठती हैं...
मुझे वक़्त के पन्ने में आग लगाकर उसके साथ ही राख हो जाना है...
इश्क़ में सात मक़ाम होते हैं...
आठवाँ उसके नाम कर देना...
और वो चाँद की रोशनी...
पूरा आसमाँ मेरे नाम कर देना...
बर्फ़ की चट्टान वो...
मुझे बर्फ़ीला जाम कर देना...
और उसकी आँखों में देखके कहा था मोहब्बत लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं होती...
मैं शाहजहाँ...
ताज महल क्या, पूरा जहान उसके नाम कर देना...
मैं राँझा...
मेरी हीर की आँखों से बारिश शर्मा जाए...
उसे देखूं तो साँसें भर लूँ...
छूने पर धड़कन मेहरबान हो जाए...
चाहत मेरे ख़ुदा मुझे यूँ इस क़दर देना...
वो दुआ हो और ख़ुदा की दुआओं में उसे मेरे नाम कर देना...
पानी क्यों मेरे क़लम को छूते ही राख हो जा रहे...
ये इश्क़ की आग वो तक ना सह पा रहे...
ऐ ख़ुदा रहमत मेरे नाम कर देना...
वो ना हो सके तो उसकी रूह मुझे दान कर देना...
चाहत मेरी हर मंज़र, समंदर, शिखर
गुस्ताख़ी सभी उसके पैरों में समाती है...
समय भी ना छू पाए ऐसा जुनून, आरज़ू, दिल्लगी, मेरी मोहब्बत हो जाती है...
किसने कहा जादू नहीं होता...
उसकी आँखों में देखो, जीते जी रूह निकल जाती है...