दरारें – Delhi Poetry Slam

दरारें

By Hemlata Dawande

दरारें....
💕💕💕💕💕
कातिब कातिब सफे सफे दरारे बहुत है,
यहां मेरे लफ्ज़ों के इशारे बहुत है,
वाकिफ तो वो भी है मेरे हर असरार से,
कर दें बर्बाद मुझे उनके इरादे बहुत है...!!!

💕💕💕💕💕
वो दरिया है हम दोनों जिसके किनारे बहुत है,
खफ़ा ही सही लेकिन इस दिल पे उनके इज़ारे बहुत हैं,
उफ्फ ये उनकी अंदाज़ ए नाराज़गी मर जाता हूं मैं,
वो मेरा चांद न सही पर उन के सितारे बहुत है...!!!

💕💕💕💕💕
वो भी जानते हैं इश्क़ मेरा हम उनके दीवाने बहुत हैं,
हो सकते हैं वो किसी और के भी पर वो हमारे बहुत है,
उनकी हर अदा से इश्क़ बेइंतहा करते हैं हम,
उन्हें जो डूबा दें मेरी आंखों के बस मयखाने बहुत है...!!!

💕💕💕💕💕
वो पढ़ते हैं खामोशी से मुझे बस इतने सहारे बहुत है,
वो जो उतरे हैं जलाने दिल मेरा तो हम भी परवाने बहुत है,
इश्क़ का मसला इतना ही आगाज़ रुसवाई अंजाम रुसवाई,
ख़ैर दिल मेरा तोड़ देने के पास उनके बहाने बहुत है...!!!


Leave a comment