By Harvinder Chahal
मेरे बटुए की अंदर वाली जेब में पड़ी हैं कुछ यादें,
टुकड़ों को जोड़कर जी लिया करते हैं कभी-कभी।
किताबों के लिबास में से निकल आती हैं कभी,
अलमारी के ऊपर पड़ी गर्द में उभर आती हैं कभी-कभी।
मेरे बटुए की अंदर वाली जेब में पड़ी हैं कुछ यादें,
टुकड़ों को जोड़कर जी लिया करते हैं कभी-कभी।
कल पनवाड़ी पे कुछ लोग धुएं के छल्ले बना रहे थे,
वो तिरछी वाली लकीर आ गई चेहरे पे।
कोशिश तो आज भी करता हूं पर अब बनते नहीं,
पहले जो बन जाया करते थे कभी-कभी।
मेरे बटुए की अंदर वाली जेब में पड़ी हैं कुछ यादें,
टुकड़ों को जोड़कर जी लिया करते हैं कभी-कभी।
तब तीन पत्तियों पर सपने दांव पे लगा करते थे,
अब जेबों से नोट निकल आया करते हैं।
पर अब वो मज़ा नहीं आता जो पहले आता था,
दस की फटी नोट जब निकल आया करती थी कभी-कभी।
मेरे बटुए की अंदर वाली जेब में पड़ी हैं कुछ यादें,
टुकड़ों को जोड़कर जी लिया करते हैं कभी-कभी।
पता नहीं कब आता है चला जाता है,
अब वो पुराने वाला इतवार नहीं आता है।
सुबह निकलते थे गेंद और बल्ले, शाम तक चला करते थे,
आजकल मोबाइल में कैंडी क्रश खेल लिया करते हैं कभी-कभी।
मेरे बटुए की अंदर वाली जेब में पड़ी हैं कुछ यादें,
टुकड़ों को जोड़कर जी लिया करते हैं कभी-कभी।
वो टपरी की चाय से बढ़िया स्टारबक्स की कॉफी नहीं लगती,
कैंटीन के समोसों से बढ़िया सबवे की सैंडविच नहीं लगती।
ए पुराने वक़्त तेरा शुक्रिया जो तू आया,
बस मेरा एक काम कर दे
कल आने वाले वक़्त को बस इतना कह दे,
के वो भी तुझ जैसा बन जाया करे कभी-कभी।
मेरे बटुए की अंदर वाली जेब में पड़ी हैं कुछ यादें,
टुकड़ों को जोड़कर जी लिया करते हैं कभी-कभी।
Love you….
Good and amazing movment.
Love you sir
Good and amazing movment.
Love you sir