मील का पत्थर – Delhi Poetry Slam

मील का पत्थर

By Harsh Singh

निकला था मंजिल की तलाश में
एक आंधी ने मेरा रूख मोड़ दिया,
मेरे रहगुज़र आगे निकल गए
मील के पत्थर सा, मुझे वहीं छोड़ दिया। 

तांकता रहा आने जाने वालों को
भीड़ ने मुझे भंभोड़ दिया,
मौसम की तरह लोग बदले
कुछ हवाओं ने, मुझे झिंझोड़ दिया। 

लोग रहे अपनी मस्ती में
मेरी चाहतों को वक्त ने सिकोड़ दिया,
जब जीना चाहा अपनी मर्जी से
हालातों ने, मुहं मोड़ लिया। 

उबरना चाहा जब जीवन में
कर्तव्यों ने जकड़ लिया,
जिंदगी की धूल- गर्दा
फाँकने के लिये, मुझे वहीं छोड़ दिया। 

थके मांदे बटोही ने अब
मुझ पर बैठना छोड़ दिया,
बेकार समझ कर पथिकों ने, 
अब, मुझे तोड़ दिया। 


9 comments

  • Everyone can relates it word by word. Very crisp and powerful.

    Abhinav Singh
  • कुछ कविताएं और भी खूबसूरत लगने लगती है, जब वो खुद से इत्तेफाक रखने लगे, सरल और सधे हुए शब्दों में आपने सच्चाई बयां कर दी है ❤️

    Prahlad
  • प्रिय हर्ष, आपके लेखन का मैं मुरीद हूँ।
    मुझे गौरान्वित महसूस कराने के लिए हृदय से धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनाएं।
    मुझे और भी मिल के पत्थर देखने (पढ़ने) की आशाएं हैं।

    Naveen
  • जीवन को कविता में पिरोना कवि की असली पहचान होती है। बहुत ही शानदार लिखा है सर।

    Gaurav Tyagi
  • Nice Poetry 👍

    Dhruv Vishnoi
  • आपकी कविता “निकला था मंजिल की तलाश में…” एक भावपूर्ण और दृश्यात्मक कृति है, जो जीवन के संघर्ष, ठहराव और उम्मीदों के टूटने की गहराई को बड़ी सहजता से प्रस्तुत करती है। कवि ने मील के पत्थर जैसे प्रतीकों और प्राकृतिक उपमाओं (आंधी, धूल, हवाएं) के माध्यम से भावनाओं को प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त किया है।

    भाव पक्ष: कविता की भावनात्मक अपील अत्यंत मार्मिक है। हर बंद में व्यथा की एक नई परत खुलती है जो पाठक को भीतर तक छू जाती है।

    शिल्प पक्ष: भाषा सरल, प्रवाहमयी और प्रभावशाली है। शब्दों का चयन तथा बिंबों की रचना कविता को सजीव बना देती है।

    प्रतीकात्मकता: “मील का पत्थर”, “धूल-गर्दा”, “आंधी”, “पथिक” जैसे प्रतीक अनुभवों को और गहराई प्रदान करते हैं।

    सुझाव: यदि अगली रचनाओं में थोड़ी-सी सकारात्मकता या आशा की झलक भी जोड़ दी जाए, तो कविता एक सशक्त भाव-संतुलन को प्राप्त कर सकती है।

    रास्ते बहुत लम्बे है, बाधाएं भी आती रहेगी लेकिन, आपको अपनी मंजिल ज़रूर मिलेगी।

    भवदीय
    संजीत सिंह

    Sanjit Singh
  • Soo Touching, Superb.

    Sumukh Vishnoi
  • Itni khubsurti se har shabd piroyaa hai apne…

    Monika
  • Relatable lines… So connecting…👍👍👍

    Rohit

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