By Harsimar Kaur
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शीशे से भी कमज़ोर है इंसान,
तो कभी पत्थर से भी कठोर है ये इंसान।
हालातों का मुलाज़िम है इंसान,
तो कभी इन्हीं हालातों से बना हुआ बादशाह है ये इंसान।
कहीं ज़िंदादिली की मिसाल है इंसान,
तो कभी एक ज़िंदा लाश है ये इंसान।
दुनिया के लिए खुश है इंसान,
तो कभी खुद का ही दुःख है ये इंसान।
कभी एक आसान सी किताब है इंसान,
तो कभी अपने आप में ही एक अज़ाब है ये इंसान।
आखिर क्या है ये इंसान?