आइस क्रीम – Delhi Poetry Slam

आइस क्रीम

By Harish Kumar Ravi

आइस क्रीम
एक व्यक्ति लगातार मचा कर शोर
खींच रहा था ध्यान अपनी ओर,
आइस क्रीम गरम ,आइस क्रीम गरम
एक मनचला तुरंत बोला
मूर्ख बनाना नही इतना सरल
भला आइस क्रीम भी हो सकती है गरम।
आइस क्रीम वाला बोला
लोग कर जाते हैं
पल भर में सीमेंट सड़क और सरिया हजम
तो मेरे प्यारे दोस्त
आइस क्रीम क्योँ नही हो सकती गरम।
करोड़ो रूपये महीना कमाने वाले
हमारे फ़िल्मी सितारे
बेच रहे हैं पांच रुपए का पान मकरंद
तो मेरे प्यारे सखा
आइस क्रीम क्यों नही हो सकती गरम।
दल बदलना दल सहित बिकना
दल सहित घुसपैठ करना
रह गया है बस राजनीति का धरम
तो मेरे भ्राता
तो आइस क्रीम क्यों नही हो सकती गरम।
बिना अध्यापक चले स्कूल,
बिना दवाई के हस्पताल,
दवाई के बिना जीवन बन जाये नरक

तो मेरे भाई
आइस क्रीम क्यों नही हो सकती गरम।
जानवर क्या करे बेचारा
जब इंसान ही खा जाए उसका चारा
इंसानियत को आती नही
रत्ती भर भी शरम
तो मेरे काठ के उल्लू
आइस क्रीम क्यों नही हो सकती गरम।।
हरीश कुमार रवि


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