वास्तविकता – Delhi Poetry Slam

वास्तविकता

By Harish Chander Pathak

🌹 (वास्तविकता)🌹

वास्तविकता क्या है जो नजर आ रही है या वह जो मेरे भीतर मुझको बुला रही है| बहुत पीड़ा है उसकी आवाज़ में जो मेरी आँखों को भीगा रही है सुकून सा महसूस होता है खो जाऊं ऐसा लगता है| क्यों आ रही है पुकार वास्तविकता क्या है जो नजर आ रही है या वो जो मेरे भीतर मुझको बुला रही है| कभी-कभी तो लगता है कोई अपना सा है जो मुझको संभIल रहा है| मेरी अंधकार भरी जिंदगी में प्रकाश भर रहा है रास्ता जो मैं भुल चुका था अपने अस्तित्व की रहा का वह फिर से मुझको उसे पर चला रहा है| वास्तविकता क्या है जो नजर आ रही है या वो जो मेरे भीतर मुझको बुला रही है|
ना जाने क्यों एहसास होता है की कुछ तो रुका है मेरे अंदर जिसको जगाने की हो रही तैयारी है| वास्तविकता क्या है जो नजर आ रही है या वह मेरे भीतर मुझको बुला रही है| जो दिख रहा है समाज में वह हकीकत है या कोई स्वप्न की बेला है| हर कोई चिंतित है इस जहाँ में ढूंढ रहा खुशियों के दो पल का मेला है| करना है आत्मसमर्पण खुद में ही मिल जाना है इस समाज की बुराइयों को अब नहीं अपनाना है| वास्तविका क्या है जो नजर अ रही है या वह जो मेरे भीतर मुझको बुला रही है|


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