एक कमज़ोर मर्द – Delhi Poetry Slam

एक कमज़ोर मर्द

By Habib Kinkhabwala

एक कमज़ोर कायर डरा मर्द मैं 
तेरी हारी हुई जंग का फर्द मैं
मुझ पे इलज़ाम धर मुझ से फरियाद कर
मुझ से नाराज़ हो कर मुझे याद कर
मेरी बर्बादियों का सिला है गिला
बस गिला ही गिला ही गिला ही गिला |


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