गुलमोहर – Delhi Poetry Slam

गुलमोहर

By Prashant Tiwari

मुझे गुलमोहर पसंद हैं  
अमलतास भी
और उसे गुलमोहर और अमलतास तोड़ना पसंद है...
जहां भी दिखता है गुलमोहर
एक डाली तोड़ लेती है मेरे लिए,
सोचती है...
मुरझाने से पहले मुझे दे देगी।
लेकिन मैं गुलमोहर
और अमलतास को
देखना चाहता हूँ डालियों में लटके हुए....
ना कि अपने हाथों में,
मैं उससे कहना चाहता हूँ
कि जब भी देखो तुम गुलमोहर
और अमलतास,
तो उन्हें मेरे लिए देख लेना
तोड़ना नहीं.....


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