By Goma Thapa
आत्मविश्वास .. से हर बार की कोशिश
नाकाम से कामयाबी की कोशिश
जुनून जीने की है खुद से ही लड़ने की है
खुद को पत्थर से कोहिनूर करने की है
मशाल जलता है सीन में
दर्द की संकीर्ण गलियों से जब गुज़रते हैं
यात्री है बहुत राह में फिर भी अशांत है मन
शांत जगत में अशांत मन
ढूंढता है फिर वही गुमनामी का सेहर
आत्मविश्वास .. से हर बार की कोशिश
गुमनामी से निकलनी की कोशिश
अशांत मन की शांति की कोशिश
खामोश चेहरे पर.. बहुत कुछ लकीरों ने बताया
कोई समझा तो कोई ना समझ पाया
हकीकत सब की एक सी है,नकली चेहरे पर छुपी असलियत की है
दस्तूर यहीं इस जग की है, रहस्य कई छुपे है
जग की इस खेल में कोई बाजी मार गया
कोई टूट कर हार गया
आत्मविश्वास .. से हर बार की कोशिश
रुख से नकाब हटाने की है
रहस्य से परदे खोल ने की है
अब जान गए हर बार खुद को आजमाकर
संगेमरमर के महल को सजाकर
बेदाग़ रहने की कोशिश में सब कुछ लुटाकर
हाथ में मोती दिल में दरार को छुपा कर
रिश्तों में जी कर रिश्तेदारी निभाकर
अब भूल गए वो साल वो महीने वो पल
जब मुस्कुराहट रूह से थी तकरार एक दो पल की
आत्मविश्वास .. से हर बार की कोशिश
दरार को मोहब्बत से पिरोने की कोशिश
वो साल वो महीने उन्ही पलो की कोशिश
याद आते है..हर बार की कोशिश
आत्मविश्वास .. से हर बार की कोशिश
दीए की लौ सी, इस जग को रोशन करने की कोशिश
अधूरे गीतों को संगीत देने की कोशिश
दर्द को मुस्कुराहट में बदलने की कोशिश
खुद को समर्पण करने की कोशिश
आत्मविश्वास से जीने की कोशिश....
सफर चाहे कुछ भी हो जिंदगी मजे से जियो
जान जाएगी एक दिन पर तब तक आत्मविश्वास से जियो