Ghazal – Delhi Poetry Slam

Ghazal

By Siddharth Singh

अम्बर में सितारे और भी हैं
रातें अभी बाक़ी और भी हैं

नालें अभी अपनी कर न ज़ाया
दुख तो अभी बाक़ी और भी हैं

उन आँखो ही पर निसार क्यों हूँ
इंसाँ अभी बाक़ी और भी हैं

कहते हैं मुझसे के न बोल अब
लेकिन वर्ण बाक़ी और भी हैं

कहते ‘राहिल’ को ‘मीर’ अभी से
लेकिन पथ बाक़ी और भी है


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