By Dr Sajid Premi

महीने तीस के इकतीस के हैं
हमारे पास पैसे बीस के हैं
चबा डाला हमारी हसरतों को
ज़माने में हुनर बत्तीस के हैं
किए जाएंगे अब हल किस सदी में
जो सारे मसअले इक्कीस के हैं
जो ख़ुद को बीस का ही मानते हैं
हमारे सामने उन्नीस के हैं
ज़रा बनती नहीं झूठों से "साजिद"
हमारे आंकड़े छत्तीस के हैं
waaaaah !
Bahut khooob !
Thanks